महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (मनरेगा) के तहत मजदूरों की उपस्थिति दर्ज करने की प्रक्रिया में बड़ा बदलाव किया गया है। अब फेस रीडिंग तकनीक के माध्यम से मजदूरों की उपस्थिति दर्ज की जाएगी। यह नई प्रणाली पुराने बायोमेट्रिक और मैनुअल उपस्थिति प्रणाली की जगह लेगी, जिससे पारदर्शिता बढ़ेगी और फर्जी हाजिरी की संभावनाओं को कम किया जा सकेगा। इसके बारे में आर्टिकल में हम आपको डिटेल में जानकारी देंगे
क्या है फेस रीडिंग तकनीक?
फेस रीडिंग तकनीक एक उन्नत बायोमेट्रिक प्रणाली है, जिसमें मजदूरों की उपस्थिति उनके चेहरे की पहचान करके दर्ज की जाएगी। इस तकनीक में कैमरा या मोबाइल एप्लिकेशन का उपयोग करके मजदूरों के चेहरे की स्कैनिंग की जाएगी, जिससे यह सुनिश्चित किया जाएगा कि सही व्यक्ति काम पर मौजूद है।
नई व्यवस्था की जरूरत क्यों पड़ी?
पिछले कुछ वर्षों में मनरेगा कार्यों में हाजिरी को लेकर कई शिकायतें आई थीं। कई जगहों पर मजदूरों की उपस्थिति दर्ज किए बिना उनके नाम पर भुगतान किया जाता था। इसके अलावा, मैनुअल उपस्थिति प्रणाली में भ्रष्टाचार और डेटा गड़बड़ी की शिकायतें भी मिल रही थीं। फेस रीडिंग तकनीक इन सभी समस्याओं का समाधान प्रदान कर सकती है।
नई प्रणाली के लाभ
पारदर्शिता में वृद्धि – इस तकनीक से फर्जी हाजिरी की समस्या खत्म होगी और वास्तविक मजदूरों को ही मजदूरी का भुगतान मिलेगा।
डिजिटल रिकॉर्ड की उपलब्धता – मजदूरों की उपस्थिति का पूरा डेटा डिजिटल रूप में संरक्षित रहेगा, जिससे रिकॉर्ड में हेरफेर करना मुश्किल होगा।
भ्रष्टाचार पर लगाम – दलालों और बिचौलियों की भूमिका सीमित हो जाएगी, जिससे मजदूरों को उनका पूरा हक मिलेगा।
समय की बचत – मैनुअल हाजिरी दर्ज करने लगने वाला समय बचेगा और मजदूरों को अधिक सुगमता से भुगतान मिलेगा।
नई व्यवस्था की चुनौतियाँ
हालांकि यह तकनीक लाभदायक है, लेकिन ग्रामीण इलाकों में इसके क्रियान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं, जैसे—
इंटरनेट कनेक्टिविटी – कई गांवों में नेटवर्क की समस्या रहती है, जिससे ऑनलाइन डेटा अपलोड करने में कठिनाई आ सकती है।
तकनीकी जागरूकता – मजदूरों को नई तकनीक के बारे में जागरूक करना और उन्हें इसके उपयोग की जानकारी देना आवश्यक होगा।
सिस्टम की विश्वसनीयता – कभी-कभी तकनीकी खराबी या चेहरे की पहचान में समस्या आ सकती है, जिससे मजदूरों को परेशानी हो सकती है।