Kanyashree Prakalpa Scheme: कन्याश्री प्रकल्प योजना पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा चलाई जा रही एक प्रमुख योजना है, जिसका उद्देश्य राज्य की लड़कियों को शिक्षा के प्रति प्रोत्साहित करना और बाल विवाह की रोकथाम करना है। इस योजना की शुरुआत 2013 में पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी द्वारा की गई थी। इसे संयुक्त राष्ट्र (UN) द्वारा भी सराहा गया है और 2017 में इसे “United Nations Public Service Award” से सम्मानित किया गया।
योजना का उद्देश्य
इस योजना का मुख्य उद्देश्य लड़कियों को शिक्षा से जोड़ना और उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। अक्सर देखा जाता है कि आर्थिक तंगी के कारण गरीब परिवार अपनी बेटियों की पढ़ाई रोककर कम उम्र में उनकी शादी कर देते हैं। Kanyashree Prakalpa Scheme के माध्यम से लड़कियों को वित्तीय सहायता देकर उनके माता-पिता को यह समझाने की कोशिश की जाती है कि वे अपनी बेटियों की पढ़ाई जारी रखें और 18 साल की उम्र से पहले उनकी शादी न करें।
Kanyashree Prakalpa Scheme: योजना के लाभ
- शिक्षा को बढ़ावा – इस योजना (Kanyashree Prakalpa Scheme) के तहत आर्थिक सहायता मिलने से गरीब परिवारों की लड़कियों को पढ़ाई जारी रखने में मदद मिलती है।
- बाल विवाह की रोकथाम – चूंकि इस योजना का लाभ केवल उन्हीं लड़कियों को मिलता है जो 18 साल की उम्र तक अविवाहित रहती हैं, इससे बाल विवाह की समस्या पर काफी हद तक रोक लगी है।
- आर्थिक आत्मनिर्भरता – पढ़ाई पूरी होने के बाद लड़कियां नौकरी के लिए अधिक योग्य बनती हैं, जिससे वे आत्मनिर्भर बन सकती हैं।
- महिला सशक्तिकरण – इस योजना ने समाज में महिलाओं के प्रति सोच को बदला है और उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर दिया है।
- समाज में जागरूकता – इस योजना ने लड़कियों की शिक्षा और बाल विवाह के प्रति समाज में जागरूकता बढ़ाने का काम किया है।
योजना के अंतर्गत दी जाने वाली सहायता
Kanyashree Prakalpa Scheme में लड़कियों को दो प्रकार की वित्तीय सहायता दी जाती है:
वार्षिक छात्रवृत्ति (K1) – यह छात्रवृत्ति 13 से 18 वर्ष की उम्र की छात्राओं को दी जाती है। हर साल ₹1,000 की आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जिससे वे अपनी पढ़ाई जारी रख सकें।
एकमुश्त अनुदान (K2) – जब कोई लड़की 18 वर्ष की हो जाती है और वह अभी भी पढ़ाई कर रही होती है तथा अविवाहित होती है, तो उसे ₹25,000 की एकमुश्त आर्थिक सहायता दी जाती है।
इसके अलावा, 2021 में एक नया घटक (K3) जोड़ा गया, जिसके तहत स्नातक स्तर की पढ़ाई कर रही छात्राओं को अतिरिक्त सहायता दी जाती है।
पात्रता एवं आवश्यक दस्तावेज
पात्रता:
आवेदिका की उम्र 13 से 18 वर्ष होनी चाहिए।
उसे किसी मान्यता प्राप्त स्कूल, कॉलेज या व्यावसायिक प्रशिक्षण संस्थान में पढ़ाई कर रही होना चाहिए।
परिवार की वार्षिक आय ₹1.2 लाख से कम होनी चाहिए। (कुछ विशेष मामलों में आय सीमा में छूट दी जाती है)
18 वर्ष की उम्र से पहले आवेदिका की शादी नहीं हुई होनी चाहिए।
आवश्यक दस्तावेज:
- जन्म प्रमाण पत्र
- स्कूल का प्रमाण पत्र
- आधार कार्ड
- बैंक खाता
- परिवार की आय प्रमाण पत्र
योजना की चुनौतियाँ
- हालांकि कन्याश्री प्रकल्प योजना बेहद प्रभावी रही है, लेकिन इसके कार्यान्वयन में कुछ चुनौतियाँ भी हैं:
- ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी बहुत से परिवार लड़कियों की शिक्षा के महत्व को नहीं समझते।
- योजना का लाभ पाने के लिए दस्तावेजी प्रक्रिया थोड़ी जटिल हो सकती है, जिससे कई गरीब परिवारों को समस्या होती है।
- कुछ जगहों पर भ्रष्टाचार और बिचौलियों के कारण लाभार्थियों को पूरी सहायता नहीं मिल पाती।
योजना की सफलता और प्रभाव
कन्याश्री प्रकल्प योजना की वजह से लाखों लड़कियों को शिक्षा से जोड़ा गया है और राज्य में बाल विवाह की दर में उल्लेखनीय कमी आई है। आंकड़ों के अनुसार, इस योजना के अंतर्गत लगभग 60 लाख लड़कियों को लाभ मिला है। 2013 में जब यह योजना शुरू हुई थी, तब पश्चिम बंगाल में बाल विवाह की दर काफी अधिक थी, लेकिन इस योजना के प्रभाव से इसमें कमी आई है।
निष्कर्ष:
कन्याश्री प्रकल्प योजना न केवल एक आर्थिक सहायता योजना है, बल्कि यह लड़कियों को आत्मनिर्भर बनाने और उनके उज्जवल भविष्य के लिए एक मजबूत नींव रखने का प्रयास है। इससे बाल विवाह जैसी सामाजिक कुप्रथाओं को रोकने में भी मदद मिली है। सरकार को चाहिए कि इस योजना (Kanyashree Prakalpa Scheme) को और प्रभावी बनाने के लिए जागरूकता अभियानों को बढ़ाए और ग्रामीण इलाकों में इसे और अधिक सुलभ बनाए। यदि इसे सही तरीके से लागू किया जाए, तो यह योजना पूरे देश में महिला सशक्तिकरण के लिए एक मिसाल बन सकती है।