प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का “Zero Defect, Zero Effect” (ZDZE) मिशन भारत को वैश्विक विनिर्माण शक्ति बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस विज़न का उद्देश्य भारतीय उत्पादों की गुणवत्ता को विश्वस्तरीय बनाना और उन्हें पर्यावरण के अनुकूल रखना है। हाल के वर्षों में, सरकार और उद्योग जगत ने मिलकर इस लक्ष्य को हासिल करने की दिशा में कई अहम कदम उठाए हैं, जिससे अब भारतीय उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अस्वीकृति (rejection) की दर में कमी आ रही है।
गुणवत्ता सुधार के लिए उठाए गए कदम
- मानकों का सख्ती से पालन – भारतीय मानक ब्यूरो (BIS) और अन्य नियामक संस्थाओं ने विभिन्न उद्योगों के लिए कड़े मानक लागू किए हैं। इससे भारतीय कंपनियों को अपने उत्पादों की गुणवत्ता सुधारने में मदद मिली है।
- मेक इन इंडिया और PLI योजना – उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (PLI) योजना और “मेक इन इंडिया” पहल ने भारतीय कंपनियों को उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बनाने के लिए प्रेरित किया है।
- नई तकनीकों का उपयोग – ऑटोमेशन, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI), और मशीन लर्निंग जैसी अत्याधुनिक तकनीकों का उपयोग बढ़ा है, जिससे उत्पादन में त्रुटियों (errors) को कम किया जा रहा है।
- कौशल विकास और ट्रेनिंग – सरकार स्किल इंडिया प्रोग्राम के तहत श्रमिकों और उद्यमियों को ट्रेनिंग दे रही है ताकि वे उच्च गुणवत्ता वाले उत्पाद बना सकें।
भारत के प्रोडक्ट अब क्यों नहीं होंगे फेल?
- बेहतर गुणवत्ता नियंत्रण – निर्यात से पहले उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए कड़े निरीक्षण (inspection) किए जा रहे हैं।
- अंतरराष्ट्रीय प्रमाणन – ISO, CE, और अन्य वैश्विक मानकों के प्रमाणपत्र प्राप्त करना अब अनिवार्य हो गया है।
- ब्रांड भारत की बढ़ती साख – भारतीय कंपनियां अब गुणवत्ता और भरोसे के साथ वैश्विक बाज़ार में प्रतिस्पर्धा कर रही हैं, जिससे भारतीय उत्पादों की मांग बढ़ रही है।
PM मोदी का “Zero Defect” सपना अब हकीकत बन रहा है। उच्च गुणवत्ता, नई तकनीक और बेहतर निरीक्षण प्रक्रियाओं की बदौलत भारतीय उत्पाद अब वैश्विक बाज़ार में मजबूती से टिक रहे हैं। इससे न केवल भारत की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि “मेड इन इंडिया” ब्रांड भी विश्वसनीयता के नए आयाम स्थापित करेगा।